नाथ संप्रदाय – योग, तप और अध्यात्म की दिव्य परंपरा
नाथ संप्रदाय भारत का एक प्राचीन हिन्दू धार्मिक पंथ है जिसकी आधारशिला स्वयं आदिनाथ भगवान शिव हैं। इस पंथ के महान गुरुगणों में गुरु गोरक्षनाथ जी और गुरु मत्स्येन्द्रनाथ जी प्रमुख हैं, जिन्होंने योग साधना को जन-जन तक पहुँचाया। गुरु गोरक्षनाथ जी की अपूर्व योगबल और सिद्धि से यह संप्रदाय नेपाल, कश्मीर, कामरूप, हरिहर क्षेत्र और हिमालय की गुफाओं तक फैला। इन्होंने चारों युगों में खंडन-वंदन कर मोक्ष और आत्म साक्षात्कार का मार्ग दिखाया।
महायोगेश्वर आदिनाथ शिवजी
“नमस्ते आदिनाथाय विश्वनाथाय ते नमः।
नमस्ते विश्वरूपाय विश्वविलयते नमः।।
उत्पत्ति स्थिति संहार कारणे क्लेशहारीणो।
नमस्ते देवदेवेश, नमस्ते परमात्मने।।
योग मार्ग कृते दुःख महाशान्तिप्रदाय ते।
नमस्ते परिपूर्णाय जगदानन्द हे तवे।।”
उदयनाथ जी (माँ पार्वती)
“ॐ सती पार्वती विद्महे,
शिव प्रिया धीमहि तन्नो,
आदि शक्ति प्रचोदयात्।”