महायोगी पीर मलंगनाथ जी
योग, तप और तंत्र का जीवंत स्वरूप
पीर मलंगनाथ जी नाथ परंपरा के सिद्ध योगी माने जाते हैं, जिनका जीवन गहन साधना, आत्मज्ञान और जनकल्याण के लिए समर्पित था। उनका नाम ‘पीर’ और ‘नाथ’ दोनों के साथ जुड़ना यह दर्शाता है कि वे हिंदू और सूफी परंपरा के संगम का प्रतीक थे — एक ऐसे योगी जिन्होंने भक्ति, शक्ति और सेवा तीनों को साधना का आधार बनाया।
आध्यात्मिक विशेषताएँ:
- वे तांत्रिक सिद्धियों, दुष्ट बाधाओं के निवारण, और रोग नाशक हवन-तंत्र में विशेष दक्ष माने जाते हैं।
- उन्होंने अपने जीवन में गुरु-शिष्य परंपरा को निभाते हुए अनेक साधकों को तंत्र, मंत्र और योग साधना में मार्गदर्शन दिया।
- उनका कार्यक्षेत्र मध्य भारत के कई हिस्सों में फैला हुआ है, और उनकी कृपा से आज भी कई धामों और साधना स्थलों पर यज्ञ-हवन और अनुज्ञा क्रियाएं संपन्न होती हैं।
नाथ-तांत्रिक परंपरा में योगदान:
- पीर मलंगनाथ जी ने नाथ संप्रदाय की सार्वजनिक साधना को जन-जन तक पहुँचाने में विशेष योगदान दिया।
- वे योग, ध्यान और तांत्रिक अनुष्ठानों को सामाजिक कल्याण से जोड़ने वाले योगी थे।
- उनके शिष्य आज भी श्री बगलामुखी धाम, उज्जैन जैसे स्थलों पर उनकी परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं।
श्रद्धालु उन्हें किस रूप में पूजते हैं?
- संकट निवारक महायोगी
- भूत-प्रेत बाधा नाशक और रक्षक
- योग व तंत्र के सजीव मार्गदर्शक
“ॐ ह्लीं बगलामुखि स्वाहा”। “ॐ ह्लीं बगलामुखि स्वाहा”। “ॐ ह्लीं बगलामुखि स्वाहा”। “ॐ ह्लीं बगलामुखि स्वाहा”। “ॐ ह्लीं बगलामुखि स्वाहा”। “ॐ ह्लीं बगलामुखि स्वाहा”। “ॐ ह्लीं बगलामुखि स्वाहा”। “ॐ ह्लीं बगलामुखि स्वाहा”।
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